22 दिसंबर को दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में मोदी ने कहा, ‘‘अच्छे पढ़े लिखे लोग भी डिटेंशन सेंटर के बारे में पूछ रहे हैं। एक मीडिया रिपोर्ट देखी- जिसमें मीडिया के लोग पूछ रहे थे कि डिटेंशन सेंटर कहां है, लेकिन किसी को पता नहीं। पढ़ तो लीजिए की एनआरसी है क्या? अब भी जो भ्रम में हैं, उन्हें कहूंगा कि जो डिटेंशन सेंटर की अफवाहें हैं। वो सब नापाक इरादों से भरी पड़ी हैं। यह झूठ है, झूठ है, झूठ है। प्रधानमंत्री रामलीला मैदान में क्यों झूठ बोल गए? अभी तक उन्होंने अपने इस झूठ को लेकर सफ़ाई नहीं दी है। ऐसा क्या कारण है की सरकार क्यों बार बार झूठ बोल रही है। 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री बोलते है 'जो डिटेंशन सेंटर की अफवाहे है वो सब नापाक इरादों से भरी पड़ी है । यह झूठ है,यह झूठ है,यह झूठ है।' गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार 24 दिसंबर को एक इंटरव्यू में डिटेंशन सेंटर बनाए जाने की बात पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेंटर बनाया जाना एक सतत प्रक्रिया है। डिटेंशन सेंटर कही नहीं बना है। और बना है तो केवल एक बना है असम मे। और कही कही होगा तो मेरी जानकारी में नहीं है । यह बात अमित शाह बोलते है जो देश के गृह मंत्री है जिन्हे ये बात पता होनी चाहिए। दूसरी और 27 नवंबर को राज्यसभा में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने असम के डिटेंशन सेंटरों में 28 लोगों की मौत होने की बात सही बताया था|
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा है कि उनके कार्यकाल में डिटेंशन सेंटर 2008 में गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश से बनना शुरू हुआ। 1998 में वाजपेयी सरकार ने राज्यों को डिटेंशन सेंटर बनाने के सुझाव दिए थे। असम के डिटेंशन सेंटर के लिए मोदी सरकार ने 40 करोड़ रुपये दिए थे।
एक के बाद एक मोदी सरकार इतने बड़े झूठ पर झूठ क्यों बोले जा रही है और इन सब पर हमारे मीडिया का बड़ा हिस्सा प्रधानमंत्री के झूठे बयानों पर शांत क्यों है और इनके सवाल कहा ग़ायब हो रहे है। यह बहुत गंभीर विषय है की क्या ये आगे भी रूटीन में ऐसे ही रहेंगे ।
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