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मार्मिक एकदा - मुसलमान को ‘तुम लोग’ कहने वाली पुलिस, हिन्दू को ‘ चोर’ बना देती है।
मनोज साह 1984 से खिलौना बेच रहे हैं।बुलाया तो पहले कहा दाम नहीं चाहिए। ऐसे ही ले लीजिए। इतना बोलते ही रोने लगे। दोनों आँखों से लोर टपकने लगा। तभी लोग गेंद ख़रीदने आ गए तो उनसे अपनी आँखें छिपाने लगें। उनके जाने के बाद उनका रोना फिर शुरू हो गया। मनोज ने बताया कि उनके दादा की दो बीघा ज़मीन थी। किसी ने अपने नाम से जमाबंदी करा ली। मतलब अपने नाम से करा ली। जब मनोज ने विरोध किया तो पुलिस से मिलकर चोरी के आरोप में जेल में बंद करा दिया। किसी तरह ज़मानत पर बाहर आए। मगर पुलिस वाला उनके परिवार को तंग करता है। बच्चों को मारता है।
मनोज ने कहा कि रवीश जी मन हार गया है। हम लोगों का कोई नहीं सुनता है। एक ठीक ठीक आदमी को एक वर्दी वाला कितना तोड़ देता है। जो पुलिस कम्युनल होकर मुसलमान को ‘तुम लोग’ कहती है वहीं पुलिस नेशनल होकर ग़रीब हिन्दू को चोर बना देती है। दस हज़ार रुपये भी लेती है। इस खिलौने वाले को दस हज़ार कमाने में कितने साल लगे होंगे।
यह घटना बिहार के मधेपुरा ज़िले की है। गमहरिया बाज़ार की। मनोज के अनुसार राजकिशोर यादव चंदन शाह लक्ष्मण शाह ने मिलकर ज़मीन क़ब्ज़ा कर ली है।
मैं भी क्या करूँ, ख़ुश रहने का किनारा ढूँढता हूँ, लोगों के भीतर जमा ग़मों का सैलाब लपेट लेता है।
मनोज साह 1984 से खिलौना बेच रहे हैं।बुलाया तो पहले कहा दाम नहीं चाहिए। ऐसे ही ले लीजिए। इतना बोलते ही रोने लगे। दोनों आँखों से लोर टपकने लगा। तभी लोग गेंद ख़रीदने आ गए तो उनसे अपनी आँखें छिपाने लगें। उनके जाने के बाद उनका रोना फिर शुरू हो गया। मनोज ने बताया कि उनके दादा की दो बीघा ज़मीन थी। किसी ने अपने नाम से जमाबंदी करा ली। मतलब अपने नाम से करा ली। जब मनोज ने विरोध किया तो पुलिस से मिलकर चोरी के आरोप में जेल में बंद करा दिया। किसी तरह ज़मानत पर बाहर आए। मगर पुलिस वाला उनके परिवार को तंग करता है। बच्चों को मारता है।
मनोज ने कहा कि रवीश जी मन हार गया है। हम लोगों का कोई नहीं सुनता है। एक ठीक ठीक आदमी को एक वर्दी वाला कितना तोड़ देता है। जो पुलिस कम्युनल होकर मुसलमान को ‘तुम लोग’ कहती है वहीं पुलिस नेशनल होकर ग़रीब हिन्दू को चोर बना देती है। दस हज़ार रुपये भी लेती है। इस खिलौने वाले को दस हज़ार कमाने में कितने साल लगे होंगे।
यह घटना बिहार के मधेपुरा ज़िले की है। गमहरिया बाज़ार की। मनोज के अनुसार राजकिशोर यादव चंदन शाह लक्ष्मण शाह ने मिलकर ज़मीन क़ब्ज़ा कर ली है।
मैं भी क्या करूँ, ख़ुश रहने का किनारा ढूँढता हूँ, लोगों के भीतर जमा ग़मों का सैलाब लपेट लेता है।
- रविश की रपट
से ।
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